मुझको इक नज़्म का वादा है, मिलेगी मुझको
डूबती नब्जों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द-सा चेहरा लिए चाँद उफक पर पहुँचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
न अँधेरा, न उजाला हो, न ये रात न दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आये
मुझसे इक नज़्म का वादा है, मिलेगी मुझको....
A humble offering from an old fan, Gulzar-saab:
2 comments:
I love, simply love, orchids. More pictures, please. Oh, and of signposts:)
My choice for his best is
mera kuch saaman tumhare pas pada hai...
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